आया है 72 वाँ समागम, तैयारियां, समागम के प्रति हमारी जिम्मेदारी।।


सन्तो का संगम....
भक्तों का संगम....
आया है 72 वाँसमागम।।




बोलो सतगुरू मातासुदीक्षा सविंदर हरदेवजी महाराजजी कीजय ।।
     
श्री श्री आदरणीयसत्कार योग्य पवन पावन पवित्रपरम् पूजनीय साध संगत जीप्यार से कहना धन निरंकारजी।।


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साध संगत जीसतगुरू किरपा से निरंकारी मिशनके इतिहासकी लड़ीमें मानवता कल्याणहेतु एक ओर कड़ी जुड़नेजा रहीहै।।जिसे समालखा में72 वाँ समागम के रूप मेंहम सबमानने जा रहे है।। समागमकी परंपरातो निरंकारीमिशन दुबारा सदियोंपुरानी है।।पर इस बार हमइसे समालखा में मनाने जारहे है।।समा भाव जिसने हमसभी को अपने अंदर समालिया है।।हम सभी के दुःखोको,विषयको ,विकारों को,काम क्रोधोको अपनेअंदर समा लिया है।। लखाभाव की इसके लिए तेरालखा बार सुक्रना बनता हैकरना हमारे दुबारा।।दासको तोसमालखा का यही अर्थ नजरआया है।।जो की समागम कारूप है।।इस समालखामें होने वाले समागम में  सभीहिस्सा लेने वाले के दुःखोका नाशहोने वाला है।।इसकेलिए हमें सदैव इसका सुक्रनालखा बार करते जाना है।।संगम भाव मिलन को समूह की कहा गया है।।

इस 72 वें समागममें अनेकों महान कर्मयोगी पूर्णसन्तो के संगम का विशालसमूह बनने जा रहा है।।जिसमेंलाखों की गिणती में संतोका मिलनरूप में संगम होगा।।जिससे भक्ति का संगम हमसभी को नजर आएगा।।जिसमे सिर्फ इस सच्चे निरंकारकी भक्तिको हीपहल देते हुए इसके संगमको जागृतकिया जाएगा।।इससे हमेंभक्ति की सही दिशा मिलतीहै।।हम अपनी मंजिल की ओरतीव्रता से बढ़ते जाते है।।सतगुरूके चरणोंसे सदाजुड़े रहने का अवसर प्राप्तहोता है।।हमारे लिएये निरंकारीमिशन का 72 वाँ समागम कुछइस रूपमें आया है कि जिससेशहंशाह जी वाला मिशन कायमहोने वाला है।।

ताकि चारो ओरअमन,चैन,शांति,सत्यवचन,प्यार,निर्मरता काबोल बाला हो सके।।हर जगहहर इंसानफूलों की भाँति चहकता महकतानजर आएगा।।सभी कीभक्ति अपनी अपनी चरम सीमाको पार्करने वाली होगी।।इसनिरंकार से इक मिक करनेवाली है।।सतगुरू केसाथ तौड़ निभा पाने केसाथ साथ इस निरंकार मेंसदा सदा के लिए मुक्तअवश्था भी मिल पाएंगी।।हमारे लिए इस बार समालखामें सन्तो का संगम.....भक्तोंका संगम....आया है72 वाँ समागम कुछ इस प्रकारसे आयाहै।।आओ हम सभी मिलकर सन्तोके इससंगम में शामिल होए भक्ति के संगम का रसग्रहण करते हुए इस बार72 वें समागम में अपना अपनायोगदान दे हाजरी लगवाएंजी।।


समागम के प्रतिहमारीजिम्मेदारी।।

साध संगत जीसतगुरू की किरपा से हमसभी ने समागम जाने कीतैयारियां कर रखी है।।इन तैयारियोंके साथसाथ हमारी कुछ जिम्मेदारी भी बनती है।।जिनका हमें विशेष धयान रखनाहोता है।।ये जिम्मेदारीहमारे लिए घर से शुरूहो जातीहै।।समागम जाने के लिए हमअपनी अपनी जिम्मेदारीसमझतें हुए घर के निजीकामों को समय पर खत्मकरते है।।घर के सभी सदस्ययदि समागम पर जा रहेहै तोपीछे से आस पड़ोस कोकोई परेशानी हो पाए।।यदिघर मेपशु डंगर रखें हुए हैतो उनकेदेखभाल के लिए हमारी जिम्मेदारीबनती है कि एक सदस्यघर पररुक कर उनकी देख रेखकरें।।यहाँ हमें समागमग्राउंड में अनुशासन बनाकर रखतेहै।। वही हमें साथ मेयात्रा के दौरान भी हमेंकिसी के साथ कोई दुव्यहारनही करना है।।हर जगह दूसरोंको पहलदेनी है।।अनुषासित कायमरखना है।।हमें यात्राके दौरानकोई कीमती सामान नही लेकरजाना चाहिए जैसे कि सोनेके गहनेआदि।।सोने के गहने की जगहहम आर्टिफिशियलगहने भी पहन सकते है।।मोबाइलफोन भी जरूरत से ज्यादामत लेकरजाएं।।

अक्सर देखा जाताहै किएक एकके पास2 या 3 फोन होते है।।बाद मेंवहाँ पर फिर फोन चार्जिंगकी भीउन्हें समस्या आती है।।धन रूपीमाया को भी साथ मेज्यादा रखें उतनी हीरखें जितनी आवश्यकताहै।।अमरजनसी में जरूरतपड़ने पर आपजी Atm कार्ड काउपयोग कर सकते है जोकिAtm मशीनें समागम ग्राउंडमें कई जगह लगी होतीहै।।इन सब की हानि होनेपर ,गुम होने पर हमारेमन कोफिर चोट लगती है यहाँ हमने अपने मन कोसत्संग में आने वाले वचनोंमें रखना होता है वहींहम अपनासारा समय फिर इनमें बितादेते है और समागम जानेके मनोरथको गवादेते है।।समागम केदिनों में हमे ज्यादा सेज्यादा  समयसत्संग में गुजरना होता है।।इसकेबदले हम अपना ज्यादा समयमार्किट में दूसरी जगह मेंघुमने में लगा देते है।।जिससेहमें सदा परहेज करना है।।हमेवहाँ पर सभी से प्यारसे निर्मरताभाव रखना है।।लंगरस्थान पर लंगर को शांतस्वाव से लाइन में रहतेहुए उतना ही ग्रहण करनाहै जितनाहम खापाएं।।ऐसा हो कि हमप्लेटों में जरूरत से ज्यादा  डलवाले ओरबाद में उसको झूठा छोड़करफेंके।।हमें अनाज कोव्यर्थ नही करना है।।ताकि जिनकोखाना नही मिल पा रहाहो उन्हेंहम उसफेकने वाले खाने से उनकीपूर्ति कर सके।।व हर कोईइस प्रसादका लुत्फले सके।।फिरहम बर्तनोंमें ही भरकर रहने वालेस्थानों पर भी ले जानेकी कोशिशकरते है।।ऐसी सुविधायोंसे यहाँतक होसके हमें कौताही करनी हैक्योंकि इससे खाना व्यर्थ जानेकी संभावनाबढ़ जातीहै।।

केंटीन में,स्नानघरों में,पानी की पीओपर,पर्दशनीमें,पुस्तक विभागआदि में शांत स्वाव का लाइनमें भी हमें इसी रूपमें मरियादा बनाकररखनी है।।छोटे बच्चोंका विशेषध्यान रखना है।।वह ज्यादा इधरउधर भाग पाए।। उनकेपीठ पर कमीज पर हमेशाएक कागजचिपका देना चाहिए।।जिसपरअपना नाम,शहर का नाम,ब्रांच कानाम,टेंट नम्बर अपनाफोन नम्बर लिखा होना अनिवार्यहो।।ताकि बच्चे घूम होने कीसूरत में उनका पता आसानीसे लगसके।।हमारे दुबारा हमारेसभी बिस्तरों पर भी एकऐसा ही कागज उस परभी लगाहोना चाहिए।।ताकि पहचानकरना आसान हो सके।।टेंटो में भी हमें रहनेके लिएजगह ज्यादा  नही घेरकर रखनीहै।।हम अक्सर अपने साथियों केलिए पहले से जगह रुकनेकी कोशिशकरते है हालाकि वह 2 दिनबाद आने वाले होते है।।हमेंऐसा कभी नही करना चाहिए।।सभीको बराबरसमझते हुए सभी को पहलदेनी चाहिए।।टेंटो मेंरहते हुए हमें सफाई काविशेष ध्यान रखना है।।बच्चों को मल मूत्र हमेंटेंटो में नही बल्कि स्नानघरों में लेजा कर करवानाहै।।हमें टेंटो में ही बर्तनोंको नहीधोना है।।खाने पीनेवाली चीजों को ऐसे हीखुले में नही फेंकना है।।ताकिगंदगी फैले हमबीमारियों से भी बच पाएं।।समागममें सेवा कर रहे हरसेवादार दुबारा जिस रूप मेंभी हमारेलिए विनती रही हैहमें उसी रूप में सत्यवचनरूप में मानना हमारा कर्तव्यहै।।सतगुरू के दर्शनोंके हेतुलाइन में मरियादा रखनी है।।जैसेहम सतगुरूके समीपपहुँचते है वहाँ पर उनकेसमीप ज्यादा देर नही रुकनाहै।।

चलते चलते इससाकार के दर्शन करने है उसकेबाद इस निराकार से जुड़जाना है।।सत्संग हालमें शोर को उतपन्न नहीकरना है।।आने वालेवचनों को एकाग्रता मन सेग्रहण करना है।।सुक्रनाभाव रखना है।।समागमग्राउंड में तंबाकू,बीड़ी,सिगरेटया अन्यकिसी नशे का उपयोग नहीकरना है।।किसी प्रकारके औझारको लेकरनही जाना है।। हमे समागमस्थल पर कही भी किसीभी जगहपर सेवासे जुड़नाचाहिए।।सेवा में किसीभी रूपमें अपना योगदान अवश्य देनाहै।।कुछ ऐसी ही अनेकों समागमके प्रतिहमारी जिम्मेदारी बनतीहै।।जिसका ध्यान हमें सदैव रखनाहै जी।।


तैयारियां समागम की।।




साध संगत जीसतगुरू की अपार किरपा सेफिर से हम सभी विशालसन्त समागम की हिस्सा बननेजा रहेहै।।इसमें हिस्सा लेने के लिएहम सभीने अपनेअपने तरीके से तैयारियां करना शुरू कर दीहै।।हम सभी के मन मेंकितना उत्साह और चाह नजर रहाहै समागमके प्रति।।येउत्साह होना एक सोभाबिक बातहै क्योंकिहम निरंकारके साकाररूप सतगुरु के दर्शन जोप्राप्त हो रहे है इसमें।।एकसे एकमहान कर्म योगी पूर्ण ब्रह्मज्ञानीसन्तो महापुरुषों केवचनों के श्रवण के साथसाथ उनकी चरण धूलि भीप्राप्त होने का सौभाग्य प्राप्तहोता है।।समागम मेंजाने के लिए अपनी तैयारियांहेतु हमने अपने अपने साधनोंका प्रबंधकर लियाहै।।कोई रेल गाड़ी दुबारा अपनीटिकेट सुनिश्चित करलिया है तो कोई ट्रक,टेम्पू,बस,कार या हवाईजहाज दुबारा आने के लिएअपनी अपनी सीट बुक करवालिया है।।यह कितनाअलौकिक नजारा है।।मनमें तो अभी भी यहीध्यान बन रहा है किहम अभीसे हीसमागम में पहुँच चुके है।।उसीका ध्यानकर प्रफुलित प्रश्नहो रहेहै।।जो सन्त नोकरी पेशा मेंहै उन्होंनेसमागम की तहरिको की छुट्टीकी अर्जीसभी ने एडवांस में देदी है।।शॉपिंगभी सभीअपनी अपनी तैयारियोके लिएकरते जा रहे है।।

हर हाल मेंहर रूपमें हर सन्त इस समागममें पहुंचने की तैयारी मेंजुटा है।।अपने निजीकामों को समय से पहलेही निपटाकरसमागम में फ्री भाव सेशांत मन से एकाग्रता भावसे जानेमें जुटे है।।इस रूप मेंसभी भक्ति को ही पहलदे रहेहै।।भक्ति के मार्ग का सुंदररूप बनाता जा रहा है।।हरसन्त के घर मे ख़ुशीका माहौलहै।।बाबा जी अक्सर कहा करतेथे किकई सन्तोमहापुरुषों के घरमे जानवरडंगर पशु पाले होते है।।तोउस घरमे उनकीसेवा के लिए किसी एकसदस्य को घर मे रुकनापड़ता है ओर बाकी केसभी सदस्य समागम में हिस्सालेते है।।बाबा जी ने कहाकि मैंसबसे पहले उस सन्त कीसेवा परवान करता हु जिसने त्यागकिया।।वह खुद घर मे रहकरबाकी के सभी सदस्यों कोसुखद भाव मे समागम मेंहिस्सा लेने के लिए भेजा।।औरपीछे घर मे रहकर घरमे बाकीके कामोंको ओरसभी पशुओं की देखभाल की।।यहभी भक्तिकी एकजरिया है।।सतगुरू हमारीकिस सेवा से खुश होजाते है ये वह खुदही जानतेहै।।हमें तो बस हमेशा इसकाध्यान शुक्राना भावमे करतेजाना है।।दातार हमसभी पर ऐसी किरपा करेंकि समागमजाने में किसी भी सन्तको समयका,मायाका,आभाव आएं।।सभीकी सेहतठीक रहे।।तन मन धन सेभरपूर रहे।।हम सभी ही कहीभी हैहर हालमें तैयारियां समागमकी करइसमें सतगुरू निरंकार केयश कागुणगान हेतु पहुँच सकें जी।।ताकिअपना जीवन सुखेला करते हुयेपरलोक भी सुधार पाएं जी अपनीअपनी तौड़ सतगुरु के साथनिभा पाएं जी।।


आओ समागम चलें।।

साध संगत जीनंबम्बर का महीना शुरू होगया है।।हमारे लिएयह महीनाबहुत ही महत्वपूर्णहै।।क्योंकि इस महीनेहमारे लिए सतगुरू दुबारा हरसाल वार्षिक विशालसन्त समागम आयोजितकिया जाता है।।सँसारमें कुंभ का मेला 12 सालबाद आता है पर हमारेलिए यह हर साल महाकुंभके रूपमें आता है।।क्योंकिइसमें एक से एक महान,पूर्ण ब्रह्मज्ञानीसन्त हिस्सा लेते है भरपूर योगदान देते है।।यहाँ सिर्फदेश के ही नही बल्किविदेशों से भी एक बड़ीगिणती में आकर अपना अपनायोगदान देते है।।इसमेंआने वाले ब्रह्मज्ञानियोकी गिणतीकरना अंसभव है।।यदिदास गिणती की बात करेंतो इससमागम में लगने वाले रोशनीके बल्बोंको आजतक गिणपाना मुश्किल हुआ है तोइसमें योगदान देने वाले ब्रह्मज्ञानियोकी गिणतीतो उससेभी ज्यादाहोती है।।ये एक इतनी विशालगिणती की हाजरी होने केबाद भी कोई धक्का मुंकीं,शोर शराबा नही होता।।हर जगहपर अनुशासनही देखनेको मिलताहै।।एक दूसरे को ही पहलदी जातीहै।।जैसे ही नंबम्बर का महीनाशुरू होता है हम सभीका ध्यानइस समागममें जाने की ओर होजाता है।।

हम सभी अपनीअपनी तैयारियां शुरूकर देतेहै।।अपने अपने रोज के कामोंको समयसे पहलेनिपटाने की कोशिश करते हैताकि समागम के दिनों मेंवह कामबाधा बन पाए औरहम बेफिक्रहोकर समागम का आनंद लेपाएं।।सभी निरंकारी भवनोंमें समागम की तरीकों कीजानकारी बहुत पहले ही समयअनुसार दे दी जाती है।।इसकेलिए निरंकारी मंडलहमारे लिए बहुत सी सुविधाओंको मुहैय्याकरवाता है।।जैसे कि हम सभीको रेलवेटिकट में 50% कई छूट दिलवाताहै।।समालखा ग्राउण्ड स्थलशहर में स्पेशल सभी ट्रेनोंको रेलवेस्टेशन पर रोकने की मंजूरीरेलवे विभाग से लेकर रुकबाताहै।।वहाँ पर पहुच कर स्टेशनसे समागमग्राउंड जाने के लिए मंडलकी तरफसे फ्रीबस,टेम्पू,कार आदि सेवा को मुहैयाकरवाता है।।जिससे हमारीयात्रा आसान हो जाती है।।फिरसमागम ग्राउंड में भी हमारेलिए लंगर ,मेडिकल,atm, खोया पाया,डिस्पेंसरी, पर्दशनी,जल पिआओ,केंटीन,पुस्तकबिभाग,बूट पालिश,टॉइलट,अस्नानघर,मोबाइलचार्जिंग सेवा,रहने के लिएटेंट घर आदि अनेकों सुविधाओंको हमारेलिए मुहैय्या करवाताहै।।जब सतगुरू इतना कुछ हमारेलिए कर रहे है तोफिर हमारा भी फर्ज बनताहै किहम सभीइसमें हिस्से ले।।औरभरपुर सेवा का योगदान दे।।हमसभी आओ समागम चलें।। इससमागम के महत्व को सार्थकबनाएं ,मानवता की सही परिभाषापैदा करें इसमें आनेवाले सभी वचनों को जीवनमे डालेऔर अपनाअपना कल्याण करते हुए भक्तिके मार्गपर चलतेहुए सतगुरू के साथ अपनीतौड़ को निभा पाए जी।।

बोल बोलने लिखने तक ही कहिसीमत रह जाए।।दास के कर्मोंमें भी ड़ल पाए जी।।ऐसाआसीर्बाद देना जी किरपा आपजी।।लिखने में त्रुटि होना सम्भवहै।।आप साध संगत माँ हो।।बख्शनहारहो।।किरपा दास से जाने अनजानेमें हुई गलतियों के लिएबख्श देना जी दास को।।दासइसके लिए आप सभी कासदैव ही क्षमा प्रार्थी रहेगाजी।।

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