निरंकारी समागम कविता, हर चेहरे पर खुशी है छाई, सेवा करने दी रुत आई.
"कविता"
(1)✍ हर चेहरे पर खुशी है छाई।
क्या बहने क्या भाई ।
सेवा करन दी रुत आई।
सेवा करन------I
रल-मिल कर लो सेवा।
आई सन्त मिलन दी वेला।
सब काम नू पीछे टाके।
बीज धरती ते पौन दी।
धन अपना वडौन दी।
सतगुरू नू रिजोन दी।
तन दे रोग मिटोन दी।
मन नू सेवा दे वीच लगौन दी।
रुत आई।
हर चेहरे पर खुशी----
क्या वहन क्या भाई।
सेवा करन---/
(2) हुनं सुतेयां नू जगोन दी।
पड़ोसियां नू वतौन दी।
Three W दोहरोन दी।
(world without wall)
With out Wall संसार वनौन दी।
नफ़रत दियां दीवारा हटौन दी।
करनी अन्दर- वाहर दी सफाई ऐ ।
मुबारक बर्दी सन्ता नूं ,
जो बने सतगुरु दे सिपाही ऐ।
रुत सेवा करन दी आई ऐ।
हर चेहरे पर खुशी है छाई।
क्या बहने क्या भाई ।
सेवा करन दी---
(3)तरीक 16-17-18 November को।
मेल है मेलियां दा ।
यह मेला है सब संसार दा ।
मिल-वरतन ते प्यार दा।
सहन-शीलता ते सतकार दा ।
रब नू मिलन दा।
रब नू मिलोन दा।
ज्ञान दा, प्रचार दा,
नम्रता दे किरदार दा।
संदेश घर-घर तक पहुंचोन दा।
तरीक -19 November को होगा गुरु वंदना का त्योहार,
सतगुरु जी के माथे पर सज्जे गा सेहरा ।
सम्पन होगा समागम, करनी सेवा दा मिले गा आशिर्वाद।
उठो सन्तो कमर कसो ,
सब हो जायो तैयार
सब बहने, सब भाई।
सेवा करन दी रुत आई।-2
हर चेहरे पर खुशी---
(4) धरती है Haryana की,
जहाँ हरि ने है आना।
समागम है समालखा दा,
खुशियाँ को सम्बाल कर है लाना।
रेलवे-स्टेशन भोड़वाल माजरी ।
वहाँ सेवादल सन्तों की रहे गी हाजरी ।
तारीक 5-November से 30 -November तक ,
हर ट्रेन से उतरे गी सवारी ,
दुनियाँ तक-तक के होगी हैरान सारी।
जदू धरती लगे गी स्वर्ग तौ भी प्यारी।
कृपा बरसे गी सतगुरु माँ दी,
सतगुरु माँ जो जग से है न्यारी।
जग ते जय-जय कार हो जाये गी ।
सत्य,प्रेम,एकत्व, नम्रता ते प्यार दी।
सिकन्दर तूं भी हिस्सा बन जा,
समागम "सात दो” का।
समागम है 72 वा धरती भी है वत्तर।
बीज पा लो सभी बन सेवादार,
छोटे -बडे बहन-भाई
सेवा करन दी रुत आई।-2
हर चेहरे पर खुशी है छाई।
सेवा करन दी रुत आई।-2
प्यारी साध सगंत जी ,
धन निरंकार जी।🙏🙏🙏।
Very nice ji
ReplyDeleteThanks Ji
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