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ज्ञान की बात..
एक सभा में एक महापुरुष ने उपस्थित संगत से पूछा -
"अगर आपके पास 86,400 रुपये हैं और कोई भी लुटेरा उसमें से 10 रुपये छीन कर भाग जाए तो आप क्या करेंगे?
क्या आप उसके पीछे भागकर लुटे हुए 10 रुपये वापस पाने की कोशिश करेंगे या आप अपने बचे हुए 86,390 को हिफाज़त से लेकर अपने रास्ते पर चलते रहेंगे?"
ज्यादातर महापुरुषों ने कहा-
" हम 10 रुपये की तुच्छ राशि की अनदेखी करते हुए अपने बचे हुए पैसे लेकर अपने रास्ते पर चलते रहेंगे।"
प्रश्नकर्ता महापुरुषों ने कहा:
"आप लोगों का सत्य और अवलोकन सही नहीं है।
मैंने देखा है कि ज्यादातर लोग 10 रुपये वापस लेने की फ़िक्र में चोर का पीछा करते हैं और परिणाम के रूप में, उनके बचे हुए 86,390 रुपये भी हाथ से धो बैठते हैं।"
हैरान होकर सभी पूछने लगे-
"महापुरुषों जी, यह असंभव है, ऐसा कौन करता है?"
वक्ता महापुरुष ने कहा -
ये 86,400 वास्तव में हमारे एक दिन के कुल सेकंड हैं।
10 सेकंड की बात लेकर, या किसी भी 10 सेकंड की नाराज़गी और गुस्से में, हम बाकी के पूरे दिन को सोच, कुढ़न और जलन में गुज़ार देते हैं और हमारे बचे हुए 86,390 सेकंड भी नष्ट हो जाते हैं।
उन नष्ट बचे हुए 86390 सेकंड में हम सब कुछ जैसे सेवा, सिमरन और सत्संग तक को भूल जाते हैं।
सत्गुरु की कही हुई बातों को भूल जाते हैं।
इसलिए कुछ चीज़ों को अनदेखा भी करें।
ऐसा न हो कि चन्द लम्हों का गुस्सा , नकारात्मकता आपसे आपके सारे दिन की ताज़गी और खूबसूरती छीनकर ले जाए और सिमरन तक को भुला दे।"
धन निरंकार जी 👣🙏🏻
🙏नीचे कमेंट में धन निरंकार जी जरुर लिखें🙏
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