Nirankari Bhajan. निरंकारी भजन खुशियों के खुल गए द्वार


खुशियों भरा गीत - खुशियों के खुल गए द्वार

 खुशियों के खुल गए द्वार, गुरु को मनाने से,
 पाए हैं सुख बेशुमार, गुरु को मनाने से,

 कहते हैं फूल कली कली, ये ही बोले -2,
 गुलशन में छाई है बहार, गुरु को मनाने से,
 खुशियों के खुल गए द्वार......

 संतों की महफिल में, रौनके ही रौनके -2,
 चांद लगे हैं देखो चार, गुरु को मनाने से,
 खुशियों के खुल गए द्वार......


 'बाबू-विजय' जब से, गुरु को मनाया है -2,
 आठों पहर है त्यौहार, गुरु को मनाने से,
 खुशियों के खुल गए द्वार......


 तर्ज - मत्थे  ते  चमकन आज मेरे बनडा दे......


🙏महापुरुषों जी नीचे कमेंट में धन निरंकार जी जरूर लिखें🙏

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